लेखनी कहानी -02-Aug-2023 ब्लैक रोज
भाग 6
फरीदा के कत्ल के पश्चात फातिमा को समझ में आ गया था कि इस घर में उसकी हैसियत क्या है ? उसे वही करना होगा जो सलीम चाहता है । उसके इंकार करने पर उसका अंजाम भी फरीदा जैसा हो सकता था । इस हकीकत को जानने के बाद वह "गूंगी गुड़िया" बन गई थी । उसके मुंह में जबान ही नहीं रह गई थी । उसको हां में हां और ना में ना ही कहना था । इसके अतिरिक्त उसके पास और कोई विकल्प नहीं था । उस दिन के बाद से सलीम की बर्बरता और भी बढती चली गई । उसकी नृशंसता के नये नये कीर्तिमान बनने लगे थे । उसके सामने किसी की बोलने की हिम्मत ही नहीं होती थी ।
उसे याद आया कि एक दिन उनके पड़ोसी के बच्चे की गेंद उनके घर में आ गई थी । इस घटना पर सलीम आगबबूला हो गया था । जब उस गेंद को लेने के लिए बच्चे का बाप उनके घर आया तो सलीम की उससे कहासुनी हो गई और इससे सलीम को ताव आ गया । उसने उस निर्दोष आदमी को इतना मारा कि उसकी वहीं पर मौत हो गई । सलीम के घरवालों ने सलीम को रोकने की भरपूर कोशिश की थी किन्तु उसने रौद्र रूप धारण कर लिया था और उस व्यक्ति के सिर को दीवार पर पटक पटक कर उसे मार दिया था । वह वीभत्स मंजर देखकर फातिमा विक्षिप्त सी हो गई थी । इसके अतिरिक्त उसने दो कत्ल और देखे थे । इतना कुछ देखने के पश्चात वह एक जिंदा लाश बनकर रह गई थी ।
सलीम के खिलाफ अनेक केस चल रहे थे । एक विधायक को सरेआम बीच बाजार में गोलियों से भून डालने के एक केस में उसे सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित होना था इसीलिए उसे दिल्ली जाना था । इस केस के लिए सलीम ने एक नामी वकील अखिल गिब्बल कर लिया था जिसका पारिश्रमिक एक सुनवाई का 20 लाख रुपए था । अखिल गिब्बल का रुतबा सुप्रीम कोर्ट में ऐसा था कि वह जो चाहता था , वैसा ही होता था । अखिल गिब्बल ने फोन पर ही सुप्रीम कोर्ट में अनेक अपराधियों को जमानत दिलवा दी थी । वह चाहता तो कोर्ट रविवार को भी खुल जाता था और वह चाहता तो कोर्ट रात को बारह बजे भी खुल जाता था । लोग अखिल गिब्बल को "कोर्ट फिक्सर" भी कहते थे । जजों के साथ उसकी ऐसी सैटिंग थी कि वह मनमाना आदेश ले लेता था । सलीम ने इसीलिए अखिल गिब्बल को अपना वकील नियुक्त किया था ।
ऐसा नहीं है कि सलीम पहली बार दिल्ली जा रहा था । वह अक्सर दिल्ली आया जाया करता था । उसका दिल्ली में काम पड़ता ही रहता था । वह नेताओं का भी बहुत चहेता था और कोर्ट कचहरी में तो उसका आना जाना लगा ही रहता था । इसलिए उसे दिल्ली जाना ही पड़ता था । इसके लिए वह कभी एरोप्लेन से तो कभी रेल से जाया करता था । वह ऐसा सुरक्षा की दृष्टि से किया करता था । उसके "कर्म" ऐसे थे कि उसके दुश्मनों की संख्या का अंदाज लगाना मुश्किल था । इसलिए वह अपना रूट हमेशा बदलता रहता था । आज उसने "तूफान मेल" से जाने का प्लान बनाया था । रात को आठ बजे की ट्रेन थी । सुबह 10 बजे दिल्ली पहुंचा देती थी यह ट्रेन ।
यात्रा की समस्त तैयारी हो गई थी । सलीम अपनी बुलेट प्रूफ कार से रेल्वे स्टेशन पहुंच गया । उसके साथ उसका एक बॉडीगार्ड भी था । वह एक बॉडीगार्ड हमेशा अपने साथ रखता था । रेल्वे प्लेटफार्म पर वह एसी फर्स्ट क्लास वेटिंग हॉल में चला गया । बॉडीगार्ड भी उसके साथ साथ वहां पर चला गया था । दोनों वहां पर बैठकर ट्रेन का इंतजार करने लगे । सलीम लघुशंका के लिए टॉयलेट चला गया । थोड़ी देर में टॉयलेट से एक चीख सुनाई दी । बॉडीगार्ड भागकर टॉयलेट के अंदर पहुंचा तो वहां पर सलीम फर्श पर पड़ा हुआ मिला । उसके ऊपर एक ब्लैक रोज पड़ा हुआ मिला ।
उसने शोर मचाकर लोगों को इकठ्ठा किया और सलीम को टॉयलेट से बाहर निकाला । लोगों ने सलीम की नब्ज टटोली तो पता चला कि वह मर चुका है । बॉडीगार्ड ने एक एम्बुलेंस बुलवाई और उसे अस्पताल लेकर गया जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया ।
क्रमश:
श्री हरि
12.8.23